“नवमी कब है?” यह प्रश्न भारतीय पंचांग और धार्मिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। नवमी तिथि हर पक्ष में आती है—शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष—और इसके आधार पर अनेक व्रत, त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान तय किए जाते हैं। खासकर राम नवमी, महानवमी, और सीता नवमी जैसे पर्व नवमी तिथि पर ही मनाए जाते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:
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नवमी तिथि क्या होती है?
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नवमी के प्रकार (शुक्ल व कृष्ण पक्ष)
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नवमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
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प्रमुख पर्व जो नवमी को मनाए जाते हैं
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अगली नवमी तिथि कब है?
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2024 और 2025 में आने वाली प्रमुख नवमी तिथियाँ
Contents
नवमी तिथि क्या है?
नवमी का अर्थ है “नौवीं तिथि”। यह हिंदू पंचांग के अनुसार हर मास के दोनों पक्षों में आती है:
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शुक्ल पक्ष की नवमी – अमावस्या के बाद बढ़ते चंद्रमा के नौवें दिन आती है।
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कृष्ण पक्ष की नवमी – पूर्णिमा के बाद घटते चंद्रमा के नौवें दिन आती है।
इस दिन विशेष पूजा, व्रत, और उपवास किए जाते हैं। नवमी तिथि कई महत्वपूर्ण देवी-देवताओं की पूजा के लिए भी जानी जाती है।
नवमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नवमी तिथि का संबंध कई धार्मिक कथाओं, पौराणिक घटनाओं और व्रतों से है। नवमी पर किए गए व्रत और पूजा विशेष पुण्यदायक माने जाते हैं।
1. राम नवमी
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चैत्र शुक्ल नवमी को मनाई जाती है।
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यह दिन भगवान श्रीराम के जन्म का उत्सव होता है।
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भक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों में झांकियाँ सजती हैं और रामचरितमानस का पाठ होता है।
2. महानवमी (दुर्गा नवमी)
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आश्विन शुक्ल नवमी को शारदीय नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है।
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यह दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का दिन होता है।
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कन्या पूजन और हवन का आयोजन होता है।
3. सीता नवमी
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वैशाख शुक्ल नवमी को माता सीता का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
4. कालाष्टमी / भद्रकाली नवमी
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कृष्ण पक्ष की नवमी को कभी-कभी भैरव या काली माता की आराधना की जाती है।
नवमी पर व्रत और पूजन विधि
नवमी तिथि पर व्रत करने का नियम इस प्रकार है:
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व्रती सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
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व्रत का संकल्प लेकर उपवास रखें (फलाहार किया जा सकता है)।
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पूजा में नारियल, फूल, फल, धूप–दीप का प्रयोग करें।
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कथा श्रवण या पाठ करें।
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शाम को आरती और भजन के साथ व्रत समाप्त करें या अगले दिन पारण करें।
अगली नवमी कब है?
✨ अगली नवमी तिथि (2024)
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श्रावण कृष्ण नवमी: 1 अगस्त 2024, गुरुवार
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श्रावण शुक्ल नवमी: 16 अगस्त 2024, शुक्रवार
✨ अगली नवमी तिथि (2025)
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माघ शुक्ल नवमी (माधवनवमी): 6 फरवरी 2025, गुरुवार
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चैत्र शुक्ल नवमी (राम नवमी): 6 अप्रैल 2025, रविवार
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आश्विन शुक्ल नवमी (महानवमी): 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार
👉 नोट: तिथियाँ स्थान और पंचांग के अनुसार थोड़ी भिन्न हो सकती हैं। सटीक समय जानने के लिए द्रिक पंचांग या स्थानीय पंचांग अवश्य देखें।
नवमी से जुड़े कुछ प्रमुख पर्व
| पर्व का नाम | तिथि (2025 अनुमान) | महत्व |
|---|---|---|
| राम नवमी | 6 अप्रैल 2025 | भगवान राम का जन्म |
| महानवमी (दुर्गा) | 2 अक्टूबर 2025 | नवरात्रि की अंतिम पूजा |
| सीता नवमी | 7 मई 2025 | माता सीता का जन्म |
| स्वामीनारायण नवमी | 10 अप्रैल 2025 | स्वामीनारायण भगवान का जन्म |
| माधवनवमी | 6 फरवरी 2025 | श्रीकृष्ण के वंशज माधव जी की पूजा |
पंचांग में नवमी तिथि कैसे देखें?
यदि आप “नवमी कब है?” जानना चाहते हैं तो आप इन माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं:
✅ हिंदू पंचांग (Printed)
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प्रत्येक दिन की तिथि, वार, योग, नक्षत्र और शुभ-अशुभ मुहूर्त।
✅ ऑनलाइन वेबसाइट
✅ मोबाइल ऐप्स
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Hindu Calendar App
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Daily Panchang
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AstroSage Kundli
नवमी तिथि से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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नवमी पर की गई कन्या पूजन विशेष फलदायी माना जाता है।
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यह तिथि संकट निवारण और दुर्गा शक्ति प्राप्ति के लिए उत्तम है।
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अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए कुछ स्थानों पर भैरव पूजा की जाती है।
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राम नवमी के दिन कई भक्त अयोध्या यात्रा करते हैं।
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श्रीराम और माता सीता दोनों का जन्म नवमी को हुआ माना जाता है।
निष्कर्ष: नवमी का महत्व सिर्फ तिथि नहीं, श्रद्धा है
“नवमी कब है” जानना हर सनातन धर्म के अनुयायी के लिए सिर्फ कैलेंडर की तारीख भर नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, व्रत, पूजा और देवताओं के प्रति आस्था प्रकट करने का अवसर है। चाहे राम नवमी का उल्लास हो या महानवमी की शक्ति आराधना, नवमी तिथि हर माह हमें संयम, श्रद्धा और साधना की याद दिलाती है।
आपका अगला कदम:
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अगली नवमी पर व्रत रखें या कम से कम पूजा करें।
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बच्चों को नवमी से जुड़े धार्मिक पहलुओं के बारे में बताएं।
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पंचांग देखें और शुभ समय पर पूजा-अर्चना करें।
🙏 जय श्रीराम। जय माता दी। 🙏
अगर आप चाहें तो मैं इस लेख को किसी विशेष नवमी (जैसे राम नवमी 2025) पर केंद्रित कर विस्तार से भी लिख सकता हूँ।

