हिंदू पंचांग में “एकादशी” या “ग्यारस” का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह तिथि भगवान विष्णु की आराधना और व्रत के लिए जानी जाती है। जब महीने की ग्यारहवीं तिथि आती है, तो भक्तों के मन में एक ही सवाल उठता है—“ग्यारस कब है?” इस लेख में हम आपको न केवल आगामी ग्यारस की तिथि बताएंगे, बल्कि इसका महत्व, व्रत विधि और धार्मिक लाभ की भी जानकारी देंगे।
Contents
- 1 🌙 ग्यारस क्या होती है?
- 2 📅 ग्यारस कब है? (Gyaras Kab Hai – अगली एकादशी की तारीख)
- 3 🛐 ग्यारस का धार्मिक महत्व
- 4 🙏 ग्यारस व्रत कैसे करें? (व्रत विधि)
- 5 📜 ग्यारस से जुड़ी प्रमुख एकादशियाँ
- 6
- 7 🌼 ग्यारस के लाभ (Benefits of Gyaras Vrat)
- 8 💡 ग्यारस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- 9
- 10 🔍 ग्यारस की जानकारी कैसे प्राप्त करें?
- 11 ✍️ निष्कर्ष: ग्यारस कब है — जानिए और लाभ उठाइए
🌙 ग्यारस क्या होती है?
“ग्यारस” हिंदी का लोकप्रिय शब्द है, जो संस्कृत के “एकादशी” से आया है। इसका अर्थ होता है – चंद्र मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि। हर महीने में दो एकादशी होती हैं:
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शुक्ल पक्ष की एकादशी – उजाला पक्ष, अमावस्या के बाद से पूर्णिमा की ओर
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कृष्ण पक्ष की एकादशी – अंधेरा पक्ष, पूर्णिमा के बाद से अमावस्या की ओर
📅 ग्यारस कब है? (Gyaras Kab Hai – अगली एकादशी की तारीख)
जुलाई 2025 की ग्यारस (एकादशी):
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कामिका एकादशी – 10 जुलाई 2025, गुरुवार
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एकादशी तिथि शुरू: 09 जुलाई 2025, शाम 04:36 बजे
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एकादशी तिथि समाप्त: 10 जुलाई 2025, शाम 06:50 बजे
पारण (व्रत तोड़ने का समय):
11 जुलाई 2025 को प्रातःकाल 06:00 बजे से 08:20 बजे तक
नोट: तिथि पंचांग के अनुसार थोड़ी बहुत भिन्न हो सकती है, इसलिए स्थान के अनुसार समय की पुष्टि अवश्य करें।
🛐 ग्यारस का धार्मिक महत्व
ग्यारस का व्रत मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि एकादशी का व्रत करने से हजारों यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है। ग्यारस के दिन उपवास, ध्यान, भजन-कीर्तन और दान का विशेष महत्व होता है।
श्रीमद्भागवत और पद्म पुराण में एकादशी की महिमा का वर्णन विस्तृत रूप से किया गया है।
🙏 ग्यारस व्रत कैसे करें? (व्रत विधि)
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व्रत की पूर्व रात्रि (दशमी) को सात्विक भोजन लें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
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“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
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एकादशी के दिन व्रत रखें — निर्जल, फलाहार या केवल जल पर निर्भर रह सकते हैं।
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भजन, कीर्तन, व्रत कथा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
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अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करें यानी अन्न-जल ग्रहण करें।
📜 ग्यारस से जुड़ी प्रमुख एकादशियाँ
माह | शुक्ल पक्ष एकादशी | कृष्ण पक्ष एकादशी |
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चैत्र | कामदा एकादशी | पापमोचनी एकादशी |
वैशाख | मोहिनी एकादशी | वरुथिनी एकादशी |
आषाढ़ | पद्मिनी एकादशी | योगिनी एकादशी |
श्रावण | कामिका एकादशी | श्रवण एकादशी |
भाद्रपद | परिवर्तिनी एकादशी | अजा एकादशी |
आश्विन | पापांकुशा एकादशी | इंदिरा एकादशी |
कार्तिक | देव उठनी एकादशी | रमा एकादशी |
मार्गशीर्ष | मोक्षदा एकादशी | उत्तपन्ना एकादशी |
पौष | सफला एकादशी | पुत्रदा एकादशी |
माघ | जया एकादशी | षट्तिला एकादशी |
फाल्गुन | विजया एकादशी | आमलकी एकादशी |
🌼 ग्यारस के लाभ (Benefits of Gyaras Vrat)
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पापों से मुक्ति – माना जाता है कि एकादशी का व्रत व्यक्ति के पापों को नष्ट कर देता है।
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मानसिक शांति – व्रत, ध्यान और भक्ति से चित्त शांत रहता है।
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सफल जीवन – विष्णु कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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पितृ दोष से मुक्ति – कुछ एकादशियाँ पितरों को तर्पण देने के लिए विशेष मानी जाती हैं।
💡 ग्यारस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत का महत्व बताया था।
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कई भक्त पूरे साल की सभी 24 एकादशियों का व्रत करते हैं।
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एकादशी व्रत का पालन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि नेपाल, श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी होता है।
🔍 ग्यारस की जानकारी कैसे प्राप्त करें?
आप निम्न स्रोतों से ग्यारस की तारीख और समय जान सकते हैं:
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पंचांग (हिंदी कैलेंडर)
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ड्रिक पंचांग (Drik Panchang) वेबसाइट
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Google Calendar का “Hindu Calendar” विकल्प
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Mobile Apps: Hindu Calendar, AstroSage, Kalnirnay
✍️ निष्कर्ष: ग्यारस कब है — जानिए और लाभ उठाइए
“ग्यारस कब है” यह जानना केवल एक तिथि भर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अवसर है। यह दिन आत्मचिंतन, भक्ति और आत्मशुद्धि के लिए बेहद उपयुक्त होता है। व्रत करने से न केवल मानसिक संतुलन मिलता है, बल्कि जीवन की राह भी उज्जवल बनती है।
तो अगली ग्यारस आने पर, समय निकालें — खुद को भगवान विष्णु की सेवा में समर्पित करें, उपवास रखें और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करें।